जैन अनुश्रुतियों के अनुसार महाभारत कालीन कुरूओं की राजधानी रही इस अतिप्राचीन तीर्थक्षेत्र की रचना देवों द्वारा की गई थी। इसी देव भूमि में सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथजी, सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुन्थुनाथजी तथा अठारहवें तीर्थंकर श्री अरहनाथजी भगवान का जन्म …
पढ़ना जारी रखेंप्राचीन रेवा नदी (नर्मदा नदी) के तट पर स्थित सिद्ध क्षेत्र नेमावर एवं इसके आसपास के क्षेत्र में अनादिकाल के अनेक विशालकाय पुरातत्वीय अवशेष मौजूद है। रावण के पुत्र सहित साढ़े पाँच करोड़ मुनिराज इस स्थली से मोक्ष पधारे है। …
पढ़ना जारी रखें: प्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त यह क्षेत्र लगभग 800 वर्षो से भी अधिक प्राचीन है। मूलनायक भगवान अजितनाथ की श्वेतवर्ण पùासन प्रतिमा अति प्राचीन, अतिशय युक्त एवं मुग्धकारी है। यहाँ अनेक प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान है। किंवदन्ती है कि, यह जैन …
पढ़ना जारी रखेंइस प्राचीन अतिशय क्षेत्र पर भगवान पार्श्वनाथ की 500 वर्ष पुरानी प्रतिमा विराजित है। लोक व्यवहार में इसके चमत्कारिक प्रसंग कहे-सुने जाते है। लगभग 150 वर्ष पूर्व चैत्यालय को मन्दिर में रुपान्तरित किया गया। पुरातात्विक वैभव एवं शिल्पकला का अद्भुत …
पढ़ना जारी रखेंआचार्य श्री विद्यानंद का व्यक्तित्व इतना महान् था कि कैसा भी धुर विरोधी क्यों न हो लेकिन उनके ज्ञान के आगे वह भी नतमस्तक हो जाता था, वे सदैव अपनी बात इस प्रकार से अकाट्य तर्कों के साथ रखते थे …
पढ़ना जारी रखेंक्षेत्र का इतिहास एवं महत्व: इस अतिशय क्षेत्र का उद्भव करीब 150 वर्ष पूर्व एक किसान को खेत में जुताई करते समय भूगर्भ से 13 मूर्तियाँ मिलने से हुआ। भूगर्भ से प्राप्त इन 13 मूर्तियों में 8 छोटी व 5 …
पढ़ना जारी रखें: राजा भोज के शासनकाल में आचार्य मानतुंग द्वारा प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की स्तुति में कालजयी भक्ति काव्य भक्तामर स्त्रोत की रचना, उपसर्ग को दूर करने एवं जैन धर्म की महत्ता निरूपित करने हेतु की गई थी। उनकी स्मृति …
पढ़ना जारी रखें: प्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त यह क्षेत्र लगभग 800 वर्षो से भी अधिक प्राचीन है। मूलनायक भगवान अजितनाथ की श्वेतवर्ण पùासन प्रतिमा अति प्राचीन, अतिशय युक्त एवं मुग्धकारी है। यहाँ अनेक प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान है। किंवदन्ती है कि, यह जैन …
पढ़ना जारी रखेंक्षेत्र का इतिहास एवं महत्व: यह प्राचीन अतिशय क्षेत्र पवन मन्दिर, जामनेर के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान आदिनाथ की 6 फुट ऊँची चतुर्थकालीन प्राचीन पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। अन्य तीर्थंकरों की परमार युगीन 6 प्रतिमाएँ भी यहाँ विराजमान …
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