भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता “वर्तमान में तीर्थक्षेत्रों का स्वरूप व उनकी उपयोगिता” के परिणाम 2 अक्टूबर 2020, अहिंसा दिवस के अवसर पर घोषित निंबध प्रतियोगिता के विजेता
तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रभातचंद्र जैन व राष्ट्रीय महामंत्री एवं कार्याध्यक्ष श्री राजेन्द्र के. गोधा ने दिगंबर जैन संतों के विरुद्ध झूठे, कपोल कल्पित और मनगढ़ंत आरोप तथा आपत्तिजनक अशोभनीय टिप्पणी करने वाले अलीगंज (एटा, उप्र) निवासी योगेश चंद्र …
पढ़ना जारी रखेंभगवान पुष्पदंतनाथजी की तप एवं ज्ञान कल्याणक भूमि। यहां 1700 वर्ष से अधिक प्राचीन मानस्तंभ है। यह पंच जिनेन्द्र मानस्तम्भ भद्र नामक ब्राम्हण ने गुप्त संवत् 161 में बनवाया था। मानास्तम्भ पर ब्राम्ही भाषा में अभिलेख है जो इसकी प्राचीनता …
पढ़ना जारी रखेंयहां दो दिगम्बर जैन मन्दिर है। एक भगवान नेमिनाथ का जो अतिशय क्षेत्र कहलाता है, दूसरा पार्श्वनाथ मन्दिर। नेमिनाथ मन्दिर में मूलनायक भगवान नेमिनाथ की 1000 वर्ष पुरानी श्यामवर्ण कसौटी पाषाण की पद्मासन प्रतिमा है। पार्श्वनाथ मन्दिर गाँव के कोने …
पढ़ना जारी रखेंइस क्षेत्र में 2 मनोहारी अतिशययुक्त जिन मंदिर है, जिसमें चौबीसी, समवशरण एवं नन्दीश्वर द्वीप की मनोहारी रचना है। यहाँ घरणेन्द्र देव एवं माता पद्मावती द्वारा समवशरण सभा का संचालन किया जाता है। प्रवचन भी होते है एवं धर्म का …
पढ़ना जारी रखेंक्षेत्र पर स्थित 8 जिन मन्दिरों में 13वीं एवं 14वीं शताब्दी की मनोज्ञ प्रतिमाएँ एवं 3 नवीन जिनालय है। विद्धानों के मतानुसार यहाँ चेलना नदी के किनारे पावा की पहाड़ी से श्री स्वर्णभद्र आदि मुनि मोक्ष गये। पहाड़ी के शिखर …
पढ़ना जारी रखेंमहरौनी तहसील के अंतर्गतविश्वविख्यात नवागढ़ जैन तीर्थक्षेत्र क्षेत्र जहां प्राचीन पुरातात्विक संपदा, चंदेल बावड़ी एवं कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है वहीं हजारों वर्ष प्राचीन शैलचित्रों की संस्कृति एवं रॉक कट इमेज, चरण चिन्ह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनें हुए …
पढ़ना जारी रखेंरत्नपुरी की प्राचीनता पन्द्रहवें जैन तीर्थंकर भगवान धर्मनाथ से प्रारम्भ होती है। धर्मनाथजी के गर्भ, जन्म, तप और केवल ज्ञान चार कल्याणक की स्थली है। महासती मनोरमा के गज मोती चढ़ाने का व्रत पूर्ण होने का सौभाग्य भी इसी पावन …
पढ़ना जारी रखेंदिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 2 पर स्थित यह मंदिर अतिशयकारी एवं चमत्कारिक है। मनोकमना पूर्ण होती है एवं रोगी मुक्त होकर जाते है। बहुत ही मनोहारी इस मंदिर में चमत्कारी प्रतिमा जो की अपने आप में एक अलग ही विशेषता …
पढ़ना जारी रखेंजैन अनुश्रुतियों के अनुसार महाभारत कालीन कुरूओं की राजधानी रही इस अतिप्राचीन तीर्थक्षेत्र की रचना देवों द्वारा की गई थी। इसी देव भूमि में सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथजी, सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुन्थुनाथजी तथा अठारहवें तीर्थंकर श्री अरहनाथजी भगवान का जन्म …
पढ़ना जारी रखेंयमुना तटीय यह क्षेत्र बाइसवें तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ की गर्भ एवं जन्म कल्याणक भूमि है। सहस्त्रों वर्ष पूर्व धन-धान्य से परिपूर्ण इस समृद्ध नगरी को महाराज शूरसेन ने बसाया था। उन्हीं के वंशज महाराज समुद्र विजय के सबसे छोटे …
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