यह एक अतिशय क्षेत्र है। ग्राम में चार दिगम्बर जैन मंदिर है चिन्तामणी पार्श्वनाथ मंदिर के भोयरें में चिन्तामणी पार्श्वनाथ की कत्थई वर्ग की 4 फुट 10 इंच ऊँची पद्मासन प्रतिमा विराजमान है, सिर के ऊपर सप्तफणावलि है। यह प्रतिमा …
पढ़ना जारी रखेंक्षेत्र का प्राचीन नाम मधुपुरी था। यह पूर्णा नदी के तट पर बसा हुआ अति प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है। यहाँ लगभग 1000 वर्ष पुराना मन्दिर है, जो यहाँ के लकड़ी के खम्भों के लेख से ज्ञात होता है। भगवान विघ्नहर …
पढ़ना जारी रखेंभगवान महावीर की 2600वीं जन्म जयंती पर केन्द्र सरकार द्वारा डेवलपमेन्ट क्षेत्र घोषित। सन् 2001 ई. में गुजरात के महामहिम राज्यपाल श्री सुन्दरसिंह जी भंडारी द्वारा पुरानी मूर्तियाँ क्षेत्र को वन्दनार्थ सौंपी गई। चतुर्थकालीन क्षेत्र पूर्व नाम वर्द्धमानपुरम्।
पावागढ़ का प्राचीन नाम पावागिरि था, बाद में पर्वत पर दुर्ग बन जाने के कारण इसका नाम पावागढ़ हो गया। यह स्थान सिद्धक्षेत्र या निर्वाण क्षेत्र है। यहाँ पर श्री रामचन्द्र के दो पुत्रों - अनंगलवण और मदनांकुश (लव और …
पढ़ना जारी रखेंगिरनार पर्वत सुप्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र है। क्षेत्र पर बाइसवें तीर्थंकर अरिष्टनेमि (नेमिनाथ) के दीक्षा, केवल ज्ञान और निर्वाण हुए है, इसीलिये यह क्षेत्र कल्याणक क्षेत्र एवं तीर्थराज सिद्धक्षेत्र कहलाता है।गिरनार पर्वत के उपर पांच टोकंे है जिनमें राजुल गुफा, अनिरूद्ध …
पढ़ना जारी रखेंयह एक अतिशय क्षेत्र है, यहाँ के मूलनायक शीतलनाथजी की प्रतिमा रामकुण्ड से निकाली गयी थी। जो कि श्वेत पाषाण की 3 फुट 2 इंच अवगाहना वाली प्रतिमा है। यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है। यह प्रतिमा लगभग 7वीं-8वीं शताब्दी …
पढ़ना जारी रखेंउत्तर गुजरात के सावरकांठा जिले में हाथमती नदी के तट पर स्थित भिल्लोडा महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ श्री चन्द्रप्रभ स्वामी का एक बावन जिनालय है, जिसके प्रांगण में कलात्मक तीन मंजिला भव्य कीर्तिस्तम्भ है, इसकी प्रत्येक मंजिल में प्रतिमायंे प्रतिष्ठित …
पढ़ना जारी रखेंभगवान महावीर की 2600वीं जन्म जयंती पर केन्द्र सरकार द्वारा डेवलपमेन्ट क्षेत्र घोषित। सन् 2001 ई. में गुजरात के महामहिम राज्यपाल श्री सुन्दरसिंह जी भंडारी द्वारा पुरानी मूर्तियाँ क्षेत्र को वन्दनार्थ सौंपी गई। चतुर्थकालीन क्षेत्र पूर्व नाम वर्द्धमानपुरम्।
तारंगा क्षेत्र उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले में अरावली पर्वत मालाओं की एक मनोरम टेकरी पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र है। यहां से वरदत्त, वरांग,सागरदत्त, आदि साढे तीन करोड मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया था। इस नगर …
पढ़ना जारी रखेंशंत्रुजय पर्वत निर्वाण क्षेत्र है। इस स्थान से युधिष्ठर, भीम और अर्जुन तीन पाण्डव तथा आठ करोड द्रविड़ राजा मुनि मोक्ष को गये है। पालीताणा शहर से गिरि की तलहटी एक मील दूर है। पालीताणा शहर में एक दिगम्बर जैन …
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