8 अक्टूबर से सम्मेद शिखर जी की वंदना हो रही है पुनः प्रारंभ आज दिनांक 07.10.2020 को सम्मेद शिखरजी, मधुबन में उपायुक्त की अध्यक्षता में कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पीरटाँड प्रखंड अन्तर्गत मधुबन के सभी मंदिर प्रबंधकों/पदाधिकारियों …
पढ़ना जारी रखेंइस क्षेत्र से 7 बलभद्र और आठ करोड मुनि मोक्ष गये है। धर्मशाला स्थित जिनालय में मूलनायक प्रतिमा भगवान महावीर की है। पर्वत की उंचाई 400 फीट है। पर्वत की तलहटी में सुन्दर वाटिका व जिनालय है। पर्वत पर 3 …
पढ़ना जारी रखेंएक बार मालव देश के नरेश धनंजय के ऊपर तिलिंग देश के नरेश अमृत विजय ने आक्रमण कर दिया। नंग-अनंग कुमार ने महाराज धनंजय की ओर से युद्ध में भाग लिया तथा अपने पराक्रम एवं बाहुबल से शत्रु देश को …
पढ़ना जारी रखेंप्राचीन रेवा नदी (नर्मदा नदी) के तट पर स्थित सिद्ध क्षेत्र नेमावर एवं इसके आसपास के क्षेत्र में अनादिकाल के अनेक विशालकाय पुरातत्वीय अवशेष मौजूद है। रावण के पुत्र सहित साढ़े पाँच करोड़ मुनिराज इस स्थली से मोक्ष पधारे है। …
पढ़ना जारी रखेंयमुना तटीय यह क्षेत्र बाइसवें तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ की गर्भ एवं जन्म कल्याणक भूमि है। सहस्त्रों वर्ष पूर्व धन-धान्य से परिपूर्ण इस समृद्ध नगरी को महाराज शूरसेन ने बसाया था। उन्हीं के वंशज महाराज समुद्र विजय के सबसे छोटे …
पढ़ना जारी रखेंदक्षिण भारत का सम्मेदशिखर कहलाने वाला यह तीर्थक्षेत्र राम, हनुमान, सुग्रीव,गवय, गवाक्ष, नील, महानील आदि 99 करोड़ मुनियों की मोक्ष स्थली है। समुद्र तल से 4500 फीट ऊँचाई पर गालना हिल नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी क्षेत्र की दो चोटियाँ …
पढ़ना जारी रखेंयह क्षेत्र भगवान महावीर स्वामी के गणधर इन्द्रभूति गौतम स्वामी का निर्वाण क्षेत्र है। यहां एक सरोवर में भव्य जिन मन्दिर बना हुआ है। इस मन्दिर में एक वेदी में गौतम स्वामी के चरण तथा दूसरी वेदी में भगवान पार्श्वनाथ …
पढ़ना जारी रखेंतारंगा जी सिद्धक्षेत्र गुजरात के मध्य में विद्यासागरजी तपोवन स्थित है यहाँ आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज पधारे थे। 1996 में इसकी स्थापना की गयी थी। यहाँ एक भव्य सिंह द्वार तथा क्षेत्र के इष्ट एवं आराध्या देव मूल नायक …
पढ़ना जारी रखेंएक बार मालव देश के नरेश धनंजय के ऊपर तिलिंग देश के नरेश अमृत विजय ने आक्रमण कर दिया। नंग-अनंग कुमार ने महाराज धनंजय की ओर से युद्ध में भाग लिया तथा अपने पराक्रम एवं बाहुबल से शत्रु देश को …
पढ़ना जारी रखेंचम्पानगर (भागलपुर) में जन्मे महामुनि सुदर्शनजी का निर्वाण स्थल। यहां जिन मन्दिर में नेमिनाथजी की मूलनायक प्रतिमा है।प्रतिवर्ष पौष शुक्ल पंचमी को महामुनि सुदर्शन स्वामी का निर्वाणोत्सव मनाया जाता है।पटना जंक्शन से आटो रिक्शा द्वारा एवं पैसेन्जर नगर के बाहर …
पढ़ना जारी रखेंशाश्वत तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जैन समाज का पवित्रतम प्राचीन तीर्थक्षेत्र है। यहाँ से प्रत्येक काल की चौबीसी के सभी तीर्थंकर मोक्ष गए है। कालदोष के प्रभाव से वर्तमान युग के बीस तीर्थंकरों व अगणित मुनिराजों ने इस पर्वत से मोक्ष …
पढ़ना जारी रखेंयहाँ बीसवें तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथजी के गर्भ, जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याणक हुए थे। यह भगवान महावीर स्वामी की प्रथम देशना स्थली है। यहाँ उनके 14 चातुर्मास हुए थे। भगवान महावीर का धर्मचक्र पर्वत प्रवर्तन क्षेत्र भी यही है। यहाँ …
पढ़ना जारी रखेंदक्षिण भारत का सम्मेदशिखर कहलाने वाला यह तीर्थक्षेत्र राम, हनुमान, सुग्रीव,गवय, गवाक्ष, नील, महानील आदि 99 करोड़ मुनियों की मोक्ष स्थली है। समुद्र तल से 4500 फीट ऊँचाई पर गालना हिल नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी क्षेत्र की दो चोटियाँ …
पढ़ना जारी रखेंबारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी के तप, ज्ञान एवं निर्वाण कल्याणक यहाँ हुए थे। माना जाता है भगवान् वासुपूज्य के एक गणधर मन्दर को यहीं पर निर्वाण प्राप्त हुआ था। पर्वत की चोटी पर भगवान तप, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक …
पढ़ना जारी रखेंदेश के सर्वाधिक दक्षिण में स्थित यह सिद्ध क्षेत्र कुलभूषण एवं देशभूषण मुनिवरों की मोक्षस्थली है। कुलभूषण देशभूषण भगवान का प्रमुख मंदिर तलहटी से 250 सीढियाँ चढकर 175 फुट ऊँची पहाड़ी पर है। मंदिर में कुलभूषण देशभूषण मुनिवर के भूगर्भ …
पढ़ना जारी रखेंपावागढ़ का प्राचीन नाम पावागिरि था, बाद में पर्वत पर दुर्ग बन जाने के कारण इसका नाम पावागढ़ हो गया। यह स्थान सिद्धक्षेत्र या निर्वाण क्षेत्र है। यहाँ पर श्री रामचन्द्र के दो पुत्रों - अनंगलवण और मदनांकुश (लव और …
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