मांगीतुंगी

नाम एवं पता

श्री मांगीतुंगी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, मांगीतुंगी

श्री मांगीतुंगी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, मांगीतुंगी,पोस्ट मांगीतुंगी,
तह. सटाणा, जिला – नासिक (महाराष्ट्),
पिन – 423302
फोन नं. – 02555-242519, 242546, 242531

नाम एवं पता

श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र - अहार जी

श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र – अहारजी तहसील – बलदेवगढ़, जिला – टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन – 472001 फोन नं. – 07683-224474

मांगीतुंगी

क्षेत्र का महत्व एवं ऐतिहासिकता

दक्षिण भारत का सम्मेदशिखर कहलाने वाला यह तीर्थक्षेत्र राम, हनुमान, सुग्रीव,गवय, गवाक्ष, नील, महानील आदि 99 करोड़ मुनियों की मोक्ष स्थली है। समुद्र तल से 4500 फीट ऊँचाई पर गालना हिल नाम से प्रसिद्ध इस पहाड़ी क्षेत्र की दो चोटियाँ मांगीजी की समुद्र तल से ऊँचाई 4343 फुट तथा तंुगीजी की ऊँचाई 4385 फुट है।
मांगीगिरि पर 7 गुफा मन्दिर तथा तुंगीगिरि पर 3 गुफा मन्दिर है। मांगीगिरि पर सीता गुफा, श्री महावीर गुुफा, श्री आदिनाथ गुफा, श्री शांतिनाथ गुफा, श्री पार्श्वनाथ गुफा तथा रत्नत्रय गुफाएँ है। मांगीगिरि से 2 कि.मी. पर तुंगीगिरि के मार्ग में श्री रामचन्द्रजी व श्री बलभद्रजी की चरण छत्रियाँ है। पास ही कृष्णकुंड बना है, जहाँ महाभारत के नायक श्रीकृष्ण का अंतिम संस्कार किया गया था। तुंगीगिरि पर 3 दिगम्बर जैन गुफाएँ है। इन दोनों गिरियों पर हजारों वर्ष प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान है। तलहटी से 250 फीट ऊँचाई पर शुद्ध-बुद्ध मुनि की दो गुफाएँ है। इन गुफाओं में मूल नायक भगवान मुनि सुव्रतनाथ एवं भगवान नेमिनाथ विराजमान है, यहाँ सैकड़ो प्राचीनतम प्रतिमाएँ है।
पहाड़ की तलहटी में 5 मंदिर है, जिनमें 1121 मूर्तियाँ है। तलहटी के मंदिर में पद्मावती देवी की चमत्कारिक प्रतिमा है। सती सीताजी की तपोभूमि भी यहीं है, यहीं से सीताजी ने स्त्रीलिंग छेद कर सोलहवें स्वर्ग में प्रतिइन्द्र हुई।
क्षेत्र पर विश्व की सबसे ऊँची खड्गासन शनिग्रह निवारक मुनिसुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा है, शनि अमावस्या के दिन यहाँ मस्तकाभिषेक का आयोजन होता है। गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से क्षेत्र पर तलहटी से 1600 फुट की ऊँचाई पर अखण्ड शिला में विश्व की विशालतम 108 फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा का निर्माण कार्य जारी है। माताजी की प्रेरणा से निर्मित सहस्त्रकूट कमल मंदिर भी दर्शनीय है। सहस्त्रकूट मंदिर में 1008 मूर्तियां है।

उपलब्ध सुविधाएं

श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

आवास कमरे – 125,हाल – 5 (यात्री क्षमता – 150), गेस्ट हाऊस -2 ,यात्री ठहराने की कुल क्षमता – 600 से 900, भोजनशाला – उपलब्ध है,पुस्तकालय – उपलब्ध है, ।

आवागमन के साधन

रेल्वे स्टेशन – मनमाड़ – 100 कि.मी.।
बस स्टैण्ड – ताहराबाद – 11 कि.मी.।
पहुँचने का सरलतम मार्ग – मनमाड़, मालेगाँव, नासिक से बस द्वारा।।

समीपस्थ तीर्थ क्षेत्र

गजपंथा – 125 कि.मी., महुवा – 175 कि.मी., एलोरा – 180 कि.मी., कचनेर – 250 कि.मी., पैठन – 250 कि.मी.।

प्रबन्ध व्यवस्था

श्री मांगीतुंगी दि. जैन सिद्ध क्षेत्र ट्रस्ट
अध्यक्ष – श्री रमेश हुकुमचन्दजी गंगवाल, इन्दौर ( 0731-2550958, 098932-09074)।
उपाध्यक्ष – प्रा. उपेन्द्र दि. लाड, मालेगाँव (02554-252400,252401)।
महामंत्री – श्री अनिल श्रीचन्द जैन, पारोला (02597-223248)।
प्रबन्धक – डॉ.. सूरजमल गणेशलाल जैन मांगीतुंगी (02555-242519, 286531)

तीर्थक्षेत्र की वेबसाइट
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
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उपलब्ध सुविधाएं

श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

आवास (मय स्नानगृह) - 20, (बिना स्नानगृह) - 150, हाल - 3 (यात्री क्षमता - 200), यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 1000, भोजनशाला - सशुल्क अनुरोध पर, औषधालय - उपलब्ध (आर्युवेदिक), पुस्तकालय - उपलब्ध, , विद्यालय - उपलब्ध (संस्कृत विद्यालय), छात्रावास – व्रती आश्रम)।

आवागमन के साधन

रेल्वे स्टेशन - मऊरानीपुर नगर - 62 कि.मी., ललितपुर - 83 कि.मी, झांसी - 120 कि.मी.। बस स्टैण्ड - बलदेवगढ़ - 10 कि.मी., टीकमगढ़ - 25 कि.मी.। पहुँचने का सरलतम मार्ग - सड़क मार्ग टीकमगढ़ से आहार जी।

समीपस्थ तीर्थ क्षेत्र

पपौरा जी - 22 कि.मी., द्रोणगिरि - 56 कि.मी., खजुराहो - 125 कि.मी., श्री फलहौडी - बड़ागाँव - 30 कि.मी., ओरछा - 110 कि.मी., कुण्डेश्वर - 30 कि.मी.।

प्रबन्ध व्यवस्था

संस्था प्रबन्धकारिणी समिति - अहार जी (सिद्ध क्षेत्र अहार जी) | अध्यक्ष - डॉ.. शिखरचन्द जी लार (07683-224036) | महामंत्री - श्री जयकुमार शास्त्री (07683-242634) प्रबन्धक - श्री विरेन्द्रकुमार जैन (07683-224474)

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    निकटतम प्रमुख नगर:
    मनमाड़ - 100 कि.मी., मालेगाँव - 60 कि.मी., नासिक - 125 कि.मी.।
    मेला एवं उत्सव:
    कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा।

    भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

    भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

    देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।

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