सिद्ध क्षेत्र ऊन (पावागिरि)

नाम एवं पता

श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, पावगिरि,ऊन

श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, पावगिरि,ऊन ग्राम – ऊन,
तह./जिला – खरगोन (म.प्र.)
पिन – 451440
टेलीफोन – 07282-2613284

नाम एवं पता

श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र - अहार जी

श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र – अहारजी तहसील – बलदेवगढ़, जिला – टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन – 472001 फोन नं. – 07683-224474

सिद्ध क्षेत्र ऊन (पावागिरि)

क्षेत्र का महत्व एवं ऐतिहासिकता

सिद्ध क्षेत्र ऊन पावागिरि की खोज वीर निर्माण संवत् 2440 ईसवी सन् 1914 के लगभग हुई थी। यह स्वर्णभद्र मुनि की मोक्षस्थली है। यहाँ भगवान महावीर की 3 फीट ऊँची पदमासन प्रतिमा क्षेत्र के पुजारी श्री चेतनलाल जैन को स्वप्न देकर भूगर्भ से प्राप्त हुई थी। प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख से प्रतिमा के 800 वर्ष प्राचीन होने का प्रमाण मिलता है। यहाँ 11वीं एवं 12वीं शताब्दी के मंदिर व मूर्तियाँ है।जनश्रुति है कि, यहाँ के राजा बल्लाल ने बाल्यकाल में नागिन निगल ली थी,जिससे समय के साथ राजा को असह्य उदर वेदना होती थी। अतः कष्ट निवारण हेतु गंगा में प्राण विसर्जन करने राजा काशी की ओर रवाना हुए। रात्रि विश्राम के दौरान उस स्थान पर रहने वाले नाग व उदर की नागिन के वार्तालाप को सुनकर राजा ने उदर की नागिन से मुक्ति पाई तथा नाग के बिल में दबा विशाल खजाना भी पाया, जिससे राजा ने उस खजाने से 100-100 मंदिर, जलाशय एवं बावड़ी निर्माण का प्रण लिया, लेकिन तीनों चीजें 99-99 ही बनवाकर राजा कालकवलित हो गया।इस प्रकार 100 में एक-एक न्यून (ऊन/कम) पड़ गया। जिससे इस क्षेत्र का नाम उन (ऊन) हो गया।यहाँ एक छोटी पहाड़ी पर चेलना नदी के किनारे भगवान श्री शान्तिनाथ का भव्य मंदिर है। जिसमें शान्तिनाथजी की साढ़े बारह फीट ऊँची प्रतिमा के दोनों ओर आठ-आठ फीट ऊँची भगवान कुन्थुनाथ एवं अरहनाथजी की प्रतिमाएँ है। मंदिर के बारहवीं शताब्दी में निर्मित होने के प्रमाण मिलते है। यह मंदिर राजा बल्लाल द्वारा निर्मित 99 मंदिरों में से है। मंदिर के समक्ष विशाल मान स्तम्भ व दो मंदिर है, जिनमें महावीर स्वामी,चन्द्रप्रभु स्वामी एवं शांतिनाथ स्वामी की प्रतिमाएँ विराजित है।शांतिनाथ पहाड़ी मन्दिर के पास छोटी पहाड़ी पर पाँच मन्दिर व एक समाधि स्थल है, जिसे पंच पहाड़ी कहते है।

उपलब्ध सुविधाएं

श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

आवास कमरे – 27$6, हाल – 3 (यात्री क्षमता – 50), यात्री ठहराने की कुल क्षमता – 200, भोजनशाला – उपलब्ध , औषधालय – उपलब्ध (आर्युवेदिक), पुस्तकालय – उपलब्ध, , विद्यालय – उपलब्ध (गुरूकुल),।

आवागमन के साधन

रेल्वे स्टेशन – सनावद – 80 कि.मी.,खण्डवा – 105 कि.मी.।बस स्टैण्ड – ऊन। पहुँचने का सरलतम मार्ग – सड़क मार्ग इन्दौर, खण्डवा, खरगोन से बस सेवा उपलब्ध है।

समीपस्थ तीर्थ क्षेत्र

बावनगजा – 80 कि.मी., सिद्धवरकूट– 110 कि.मी.,तालनपुर– 160 कि.मी.।

प्रबन्ध व्यवस्था

श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र पावागिरि, ऊन
अध्यक्ष श्री देवकुमार सिंह कासलीवाल, इन्दौर (0731-2434718)।
मंत्री – श्री प्रकाशचन्द जैन सराफ, सनावद (07280-234396)।
प्रबन्धक – श्री विनोदकुमार जैन, ऊन (07282-261328)

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    निकटतम प्रमुख नगर:
    खरगोन - 18 कि.मी.।
    भौगोलिक स्थिति: ऊन पावागिरि सिद्ध क्षेत्र खण्डवा-बडौदा राजमार्ग क्रं.26 पर स्थित है, जो कि खण्डवा रेल्वे स्टेशन से 103 कि.मी., इन्दौर से 160 कि.मी., खरगोन जिला मुख्यालय से 17 कि.मी., आगरा-मुबंई राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं.3 जुलवानिया से खरगोन की ओर 27 कि.मी. है।

    भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

    भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

    देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।

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