भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

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भारतवर्षीय दिगम्बर जैन
तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

अनादि कालीन श्रमण संस्कृति का संरक्षण-संवर्धन इस युग के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र प्रथम चक्रवर्ती भरत के द्वारा करोड़ों वर्षों से चला आ रहा है पुनः पंचम काल में महान जैनाचार्य एवं अनेक जैन धर्मावलम्बी राजा- महाराजाओं द्वारा इस संस्कृति का संपोषण किया गया है इसी का शुभ परिणाम्‌ है कि आज भी जैन संस्कृति की इस बहुमूल्य धर्मस्वजा को फहराते हुए संसार में श्रेष्ठ स्थान को प्राप्त हुआ है तथा इस संस्कृति के माध्यम से समूचे मानव जाति को अपने जीवन के प्रत्येक पग पर हर चर्या में अहिंसा का संदेश होता है।

देश भर में स्थित विभिन्न दिगम्बर जैन तीर्थों की देखरेकरके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन कीआवश्यकता है, यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई.में मुंबई निवासी दानवीर, जैनकुलभूषण, तीर्थ भक्तसेठ माणिकचंद हिराचंदजवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ।

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सामाजिक मीडिया

कमेटी की स्थापना

सन् 1900 में व्यापारिक व्यस्तताओं से अपने आपको मुक्त करके सेठ साहबअपनी रुचि के अनुसार तीर्थक्षेत्रों का संगठन करने औरउनकी अच्छी से अच्छीव्यवस्था बनाने के लिए पूरी लगन के साथ जुट गये । अनेक अवसरों पर अनेकस्थानों पर उन्होंने तीर्थों कीसमस्याओं से समाज को परिचित कराया और उनकेसमाधान के लिए एक अखिल भारतीय संगठन की स्थापना का वातावरण तैयारकिया । दो वर्ष के भीतर ही सेठ साहब को अपने दीर्घ प्रयास की सफलता के लिएअनुकूल अवसर प्राप्त हो गया । विक्रम संवत्1959 में कार्तिक वदी पंचमी से दसवीं तक, तदनुसार 22-10-1902 से 26-10-1902तक भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा कासातवाँ वार्षिकअधिवेशन मथुरा में आयोजित हुआ ।

इस अधिवेशन में मुंबई से सेठ माणिकचन्दजी अपने साथ सेठ रामचन्द्रनाथाजी, सेठ गुरुमुखराय, पंडित धन्नालालजी औरपंडित जवाहरलालजी शास्त्री आदि अनेक सहयोगियों को लेकर उपस्थित हुए ।पंडित गोपालदास जी बरैया भी उस अधिवेशन में पहुँचे। सेठमाणिकचन्दजी नेतीर्थक्षेत्रों की दयनीय..

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हीराबाग में कार्यालय
की स्थापना

एक दिन सेठ माणिकचन्दजी ने बाबू शीतलप्रसाद जी से कहा कि महासभा के अधिवेशन में भारवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की स्थापना स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए की गई थी । कमेटी का कारबार अभी तक महामंत्री के नाते हमअपनी दुकान से संचालित कर रहे हैं । शिखरजी का बीसपंथी कोठी का मुकदमा कमेटी को लड़ना पड़ा है जिससे उस पर लगभग आठ हजार रुपए का कर्जा हो गया है । अभी कमेटी का काम बम्बई प्रांतिक दिगम्बर जैन सभा के द्वारा ही चलाया जा रहा है

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Promises Kept

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भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

“ पंचम काल मे गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए चारो पुरूषार्थ अथार्त अर्थ, धर्म, काम, एंव मोक्ष को प्राप्त करने का सच्चा मार्ग दिखाया गया हैं। “

कुल स्वयंसेवक
अभियान
आवरण क्षेत्र
कुल सदस्य

सम्मेद शिखर जी का विकास

साहू शांति प्रसाद जी के कार्यकाल में ही शिखरजी क्षेत्र पर श्वेताम्बर भाईयों के साथ हमारा उग्रतम विवाद चला । उस संकटकाल में श्रीमान्साहूजी की सूझ-बूझ, प्रभाव, धीरज तथा उदारता कमेटी के लिए और समस्त दिगम्बर जैन समाज के लिए वरदान की तरह महत्वपूर्ण सिद्ध हुए। उस समय श्वेताम्बरों ने अनेकप्रकार के प्रभाव डालकर, बिहार शासन के साथ, पवित्र सम्मेदाचल पर्वत के संबंध में एकपक्षीय समझौता कर लिया था । साहू शांतिप्रसाद जी ने इसका शक्त विरोध किया।।

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