पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष

जैन तीर्थ वंदना (मासिक पत्रिका)

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

तीर्थक्षेत्र कमेटी के बढ़ते उत्तरदायित्वों एवं समग्र जैन समाज की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को देखते हुए सन् 1983 से तीर्थक्षेत्र कमेटी के मुखपत्र के रूप में ‘जैन तीर्थ वंदना’ का प्रकाशन किया जा रहा है ।
वर्तमान में तीर्थक्षेत्र कमेटी के सदस्यों को प्रति माह इसकी 5000 प्रतियाँ निःशुल्क भेजी जाती हैं ।
अब आप यह पत्रिका यहाँ से डाउनलोड करके पढ़ सकते है ।

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

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Registered under Indian Society Act of 1960
bearing No.570 of 1930 Bombay Public Trust Act,
of 1950 bearing No.F/10 of 1952
कार्यालय : हीराबाग, सी पी टैंक, मुंबई – ४०० ००४

पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष

स्व. सर सेठ हुकुमचन्दजी जैन (कासलीवाल)

अध्यक्ष

सेवास्थल : इन्दौर कालावधि : १९१० से १९५९ तक

स्व.श्री साहू शांतिप्रसाद जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : मुंबई कालावधि : १९६४ से १९७२ तक

स्व.श्रीमान् सेठ लालचन्द हिराचंदजी

अध्यक्ष

सेवास्थल : मुंबई कालावधि : १९७२ से १९८३ तक

स्व.श्री साहू श्रेयांसप्रसाद जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : मुंबई कालावधि : १९८३ से १९८७ तक

स्व.श्री साहू अशोक कुमार जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : नई दिल्ली कालावधि : १९८७ से ४ फरवरी १९९९ तक

स्व.श्री साहू रमेशचन्द जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : नई दिल्ली कालावधि : ११ अप्रैल, १९९९ से २२ सितम्बर,२००४ तक

श्री नरेश कुमार सेठी

अध्यक्ष

सेवास्थल : जयपुर कालावधि : १७ अक्टू.२००४ से २२ जून, २००८ तक

श्री आर.के.जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : मुंबई कालावधि : २२ जून,२००८ से २५ अगस्त २०१३ तक

स. सिंघई श्री सुधीर जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : कटनी कालावधि : २५ अगस्त २०१३ से २५ फरवरी २०१६ तक

श्रीमती सरिता एम.के.जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : चैन्नई कालावधि : २५ फरवरी २०१६ से २५ नवम्बर २०१८ तक

श्री प्रभातचन्द्र सवाईलाल जैन

अध्यक्ष

सेवास्थल : मुंबई, कालावधि : २५ नवम्बर २०१८ से १७ मई २०२१ तक

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ।