नाम एवं पता
श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र - अहार जी
श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र – अहारजी तहसील – बलदेवगढ़, जिला – टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन – 472001 फोन नं. – 07683-224474
नालछा
क्षेत्र का महत्व एवं ऐतिहासिकता
महाभारत कालीन ऐतिहासिक विराट नगरी जयपुर से 85 कि.मी. की दूरी पर राजमार्ग संख्या 13 पर स्थित अरावली पर्वत के नैसर्गिक सौन्दर्य से घिरी यह प्राचीन नगरी जैन, बौद्ध, सनातन सभी धर्मो की धरोहर को अपने में समेटे हुए है। यहां 16वीं शताब्दी में निर्मित नसिया में बाग, बगीचे फव्वारे प्राचीन राजसी वैभव का प्रतीक है। यहां विराजमान 1008 भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा 400 वर्ष प्राचीन है।
आचार्य शुभचन्द्र स्वामी की तपोभूमि तथा जैन मुनि श्री विमलसूरीजी की जन्मभूमि इस नगरी में मुख्य बाजार में दो भव्य प्राचीन दिगम्बर जैन मन्दिर, दिलवाडा शैली में निर्मित 16वीं शताब्दी का श्वेताम्बर जैन मंदिर स्थित है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचारार्थ यहां शिलालेखों एवं स्तूपो का निर्माण करवाया था जिनमें से अनेक आज भी देखे जा सकते है। सनातन धर्म से संबंधित 52 शक्तिपीठों में से मनसा माता का 40वां शक्तिपीठ भी यहां पहाडियों पर स्थित है।
प्रबन्ध व्यवस्था
श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन नसियां, विराटनगर। अध्यक्ष – श्री हरद्वारीलाल संघई (0142-2234492) मंत्री – श्री विनोद जैन (098284-50909)
आवागमन के साधन
रेल्वे स्टेशन – अलवर – 35 कि.मी.। बस स्टैण्ड – विराटनगर – 9 कि.मी.।
निकटतम प्रमुख नगर
विराटनगर – 9 कि.मी.,
अलवर – 35 कि.मी.।
समीपस्थ तीर्थक्षेत्र
तिजारा – 110 कि.मी.,
महावीर जी – 200 कि.मी.।
नालछा
क्षेत्र का महत्व एवं ऐतिहासिकता
कागदीपुरा (नालछा) में प्रागैतिहासिक काल से मुगलकाल तक के खण्डहरों के अवशेष विद्यमान है। प्राचीनतम अवशेषों के रूप में जैन तीर्थंकर नेमिनाथ की छठी शताब्दी की पद्मासन प्रतिमा ध्यानस्थ मुद्रा में है। यहां सन् 2007 मे खुदाई में भगवान आदिनाथ की पद्मासन प्रतिमा, भगवान महावीर की स्लेटी पत्थर की प्रतिमा तथा दो लांछन विहीन तीर्थकर प्रतिमाएं प्राप्त हुई है। यहां कलियुग के कालिदास कहे जाने वाले पंडित आशाधर द्वारा स्थापित नेमिनाथ जिनालय, साहित्य मंदिर एवं विद्यापीठ के अवशेष प्राप्त हुए है।
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उपलब्ध सुविधाएं
श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ
आवास (मय स्नानगृह) – 20, (बिना स्नानगृह) – 150, हाल – 3 (यात्री क्षमता – 200), यात्री ठहराने की कुल क्षमता – 1000, भोजनशाला – सशुल्क अनुरोध पर, औषधालय – उपलब्ध (आर्युवेदिक), पुस्तकालय – उपलब्ध, , विद्यालय – उपलब्ध (संस्कृत विद्यालय), छात्रावास – व्रती आश्रम)।
आवागमन के साधन
रेल्वे स्टेशन – मऊरानीपुर नगर – 62 कि.मी.,
ललितपुर – 83 कि.मी, झांसी – 120 कि.मी.।
बस स्टैण्ड – बलदेवगढ़ – 10 कि.मी., टीकमगढ़ – 25 कि.मी.।
पहुँचने का सरलतम मार्ग – सड़क मार्ग टीकमगढ़ से आहार जी।
समीपस्थ तीर्थ क्षेत्र
पपौरा जी – 22 कि.मी.,द्रोणगिरि– 56 कि.मी.,खजुराहो – 125 कि.मी., श्री फलहौडी- बड़ागाँव – 30 कि.मी.,ओरछा – 110 कि.मी., कुण्डेश्वर – 30 कि.मी.।
प्रबन्ध व्यवस्था
संस्था प्रबन्धकारिणी समिति – अहार जी (सिद्ध क्षेत्र अहार जी)
अध्यक्ष – डॉ.. शिखरचन्द जी लार (07683-224036)।
महामंत्री – श्री जयकुमार शास्त्री (07683-242634)।
प्रबन्धक – श्री विरेन्द्रकुमार जैन (07683-224474)।
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास
देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।