कुंदकुंद जन्मभूमि कोनकोंडला के विकास के लिए कमेटी को सरकार से मिली अनुमति

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आचार्य कुंदकुंदजी की जन्मभूमि कोनकोंडला क्षेत्र के विकास के लिए तीर्थक्षेत्र कमेटी को सरकार से मिली अनुमति

पूर्व कर्नाटक राज्य के अनंतपुर जिले गुत्ति तहसील गुंतकल रेलवे स्टेशन से ६ कि.मी की दूरी पर कोनकोंडंल गांव मे आचार्य श्री कुन्दकुन्द भगवान् का जन्म हुआ था| आचार्यश्री को कोनकोंडल, कोंडकुंद एवं कुंदकुंद नाम से जाना जाता है। बचपन से ही आचार्य कुंदकुंद आध्यात्म व आत्मचिंतन में तल्लीन रहते थे। आचार्य कुन्दकुन्द ने ११ वर्ष की उम्र में दिगम्बर मुनि दीक्षा धारण की थी। इनके दीक्षा गुरू का नाम आचार्य जिनचंद्र था। ये जैन धर्म के प्रकाण्ड विद्वान थे। आचार्य कुंदकुंद ने दिगंबर मुनि पद पर रहकर ४४ आचार्य पीठ का पदारोहण किया , आचार्य श्री का पूरा जीवन संयम, तप, साधना एवं ग्रंथों की रचना में व्यतीत हुआ। आचार्य श्री के तपप्रभाव से उन्हें चारण ऋद्दि प्राप्त हुई थी जिससे उन्होंने सिद्धांत के विषय में निव्रत्त होने के लिए विदेह क्षेत्र जाकर श्रीमंधर स्वामि से संदेह का परिहार लिया और ज्ञानार्जन संपाद कर वापस आकर श्रमण परमपरा के मुनिराजों को बोध कराया। आचार्य श्री ने समयसार,नियमसार,प्रवचनसार,अष्टपाहुड, पंचास्तिकाय,रयणसार,दशभक्ति आदि अनेक ग्रंथों की रचना की।

आचार्य कुंद-कुंद भगवान की जन्मभूमि के विकास के लिए भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी ने योजना बनाई है भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी मुंबई के तात्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रभातचन्द्र जैन एवं कार्याध्यक्ष व महामंत्री श्री राजेंद्र के.गोधा निरंतर प्रयास कर रहे थे कि कोनाकोंडला के रससिद्दलागुट्टा पहाड़  की ४२.७९ एकड़ की भूमि शीघ्र तीर्थक्षेत्र कमेटी को मिले ताकि आचार्य कुंदकुंद देव की जन्मभूमि का विकास किया जा सके।

पहाड़ पर दिगंबर जैन मंदिर, धर्मशाला व आचार्य कुंदकुंद स्मारक बनाने के लिए भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी मुंबई ने आंध्रप्रदेश सरकार और कलेक्टर को  दिनांक  २२-७-२०१९ को पहला निवेदन पत्र भेजा।  अनंतपुर जिला के  कलेक्टर ने इस क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी लेकर पुरातत्व विभाग से अनुमति लेकर विकास करने का सुझाव दिया था।

भारतवर्षीय दिगंबर तीर्थक्षेत्र कमिटी ने पुरातत्व विभाग के आयुक्त (commissioner) श्री विजयवाड़ा को इस क्षेत्र के बारे में दूसरी बार दिनांक ६-१२-२०१९ को निवेदन पत्र लिखा। जिसके परिणाम स्वरूप अनंतपुर के कलेक्टर ने वज्रकरूर तहसील के मंडल तहसीलदार को इस तीर्थ को पूरी जानकारी भेजने के लिए निर्देश जारी किया था जिसके बाद वज़्रकरूर तहसीलदार ने कलेक्टर के लिए कोनाकोंडला जैन क्षेत्र और भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी मुंबई से प्राप्त निवेदन पर कलेक्टर को रिपोर्ट भेज दी।

तीर्थक्षेत्र कमेटी में नियुक्त श्री सुरेश जैन ने इस आशय का पत्र लेकर अनं॑तपुर जिले के कलेक्टर श्री सत्यनारायण जी (आईएएस) से उनके निवास पर जाकर भेंट की और तहसीलदार द्वारा प्रेषित पत्र की प्रति कलेक्टर को प्रस्तुत की। कलेक्टर महोदय ने आश्वासन दिया  कि आंध्रप्रदेश सरकार से मैं निवेदन करूंगा कि कोनाकुंडला के जैन तीर्थक्षेत्र की ४२.७९ एकड़ भूमि भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी मुंबई को सौंपकर उन्हें क्षेत्र के विकास की अनुमति दी जाए, मैं पूर्ण रूप से मदद करूंगा। उन्होंने आवश्यक कार्यवाही के लिए उस पत्र को आगे प्रेषित भी कर दिया।

आचार्यश्री कुंदकुंद स्वामी की जन्मभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा  रखने वाले श्री प्रभातचंद्र जैन जी ने शीघ्र इस क्षेत्र की कायाकल्प के उद्देश्य से कोरोनाकाल में पहली वर्षा के बाद ही क्षेत्र पर वृक्षारोपण करने का निर्देश दे दिया। कोनाकोंडला में २१.०८.२०२० को क्षेत्र के चारों ओर  अलग-२ प्रकार के पौधों का रोपण किया गया साथ ही आने वाले समय में यहाँ पर ५०० पौधों का रोपण करने की योजना बना दी।

कोनाकोंडला में १६.०९.२०२० को आँध्रप्रदेश पुरातत्व विभाग हैदराबाद की सहायक निदेशक टीम ने आकर आचार्य कुंद कुंद जन्मभूमि के पूरे पहाड़ का सर्वेक्षण किया और सर्वेक्षण रिपोर्ट को अपने विभाग के मुखिया को सौंपा ताकि भूमि पर विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए तीर्थक्षेत्र कमेटी को अनुमति प्रदान की जाये।

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के सतत प्रयासों से पुरातत्व  विभाग के कमिश्नर ने  दिनांक २७-०७-२०२१ को कोनकोंडला क्षेत्र के विकास के लिए तीर्थक्षेत्र कमेटी को अनुमति प्रदान कर दी है।

 

कोनकोंडला  विकास योजना में भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के  पूर्व अध्यक्ष श्री प्रभातचंद्र जैन, मुंबई, पूर्व महामंत्री स्व.श्री राजेंद्र के. गोधा, राजस्थान,  वर्तमान अध्यक्ष श्री शिखरचंद पहाड़िया, तमिलनाड़-आंध्रप्रदेश &पॉन्डिचेरी अध्यक्ष श्री दिनेश सेठी एवं कमेटी की ओर से नियुक्त आंध्रप्रदेश के तीर्थ परिक्षण कर्मचारी श्री सुरेश जैन का सम्पूर्ण सहयोग रहा।

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
www.tirthkshetracommittee.com

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।


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