निबंध प्रतियोगिता परिणाम घोषित

अखिल भारतीय निबंध (व्यवहारिक सुझाव) प्रतियोगिता

आयोजक – भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा दिसम्बर 2021 में आयोजित निबंध (व्यवहारिक सुझाव ) प्रतियोगिता के परिणाम दिनांक 3 मई, 2022 अक्षय तृतीया के सुअवसर पर घोषित किये गये हैं –

यह प्रतियोगिता दो वर्गों में आयोजित की गयी थी

वर्ग एक –  उच्च शिक्षित वर्ग,  विषय –  मानसिक शांति के अनूठे केंद्र –  जैन तीर्थ

प्रथम विजेता – डॉ. निर्मल कुमार जैन (प्राप्तांक – 245/300) पुरस्कार राशि – 21,000/- रु
द्वितीय विजेता – श्रीमती सौ. रेखा भरत कुमार रायबाग़ जैन (प्राप्तांक – 243/300) पुरस्कार राशि – 11,000/-रु
तृतीय विजेता – श्रीमती संगीता जैन, इंदौर (प्राप्तांक – 240/300) पुरस्कार राशि – 5,000/- रु

सांत्वना विजेता – ( पुरस्कार राशि – 2,000/- रु)

  1. श्री सचिन्द्र जैन, सासनी हाथरस उ.प्र. ( प्राप्तांक – 239/300)
  2. श्री डॉ. रेखा जैन, टीकमगढ़ म.प्र. (प्राप्तांक – 238 / 300)
  3.  श्रीमती आराधना जैन, ग्वालियर म.प्र. (प्राप्तांक – 235 /300)

 

वर्ग  दो –  पत्रकार वर्ग, विषय –  पत्रकारों का जैन तीर्थों के प्रति दायित्व

प्रथम विजेता – श्रीमती उषा पाटनी, इंदौर (प्राप्तांक – 246 /300) पुरस्कार राशि – 21,000/- रु
द्वितीय विजेता – श्रीमती रेखा पतंग्या, इंदौर (प्राप्तांक – 237/300) पुरस्कार राशि – 11,000/- रु
तृतीय विजेता – डॉ. श्रीमती अल्पना जैन, ग्वालियर (प्राप्तांक – 223 /300) पुरस्कार राशि – 5,000/- रु

सांत्वना विजेता – ( पुरस्कार राशि – 2,000/- रु)

  1. कर्मयोगी डॉ. सुरेन्द्र जैन, बुरहानपुर महा. ( प्राप्तांक – 221 /300)
  2. श्री संजीव जैन “संजीवनी”, इंदौर (प्राप्तांक – 209 / 300)
  3. श्रीमती सपना जैन, इंदौर  (प्राप्तांक – 208 /300)

प्रतियोगिता के सभी विजेताओं को भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी हार्दिक शुभकामनायें प्रकट करती है |  तथा  सभी प्रतिभागियों को प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए धन्यवाद सहित आपके लिए शुभकामनायें एवं सांत्वना प्रकट करती है |

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
www.tirthkshetracommittee.com

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।


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