कर्नाटक के बेल्लारी जिले के बालकुंडी गाँव में जेसीबी से खुदाई के दौरान मिली जैन प्रतिमाएं एवं शिलालेख
कर्नाटक के बेल्लारी जिला, सिरुगुप्पा तालुका के बालकुंडी (बालाकुंड) गांव पहले जैनों का प्रसिद्ध स्थान था| स्थानीय हाई स्कूल के अध्यापक श्री चन्द्रमौली जी ने बताया कि शिलालेख में लिखा है कि आचार्य श्री कुंद-कुंद भगवान इसी गाँव में आये थे और गाँव के निकट पूरा पहाड़ है| पहाड़ के ऊपर आचार्य श्री कुंद-कुंद जी के चरण चिन्ह हैं तथा गाँव में स्कूल के पास खंडित तीर्थंकर प्रतिमा भी हैं| गत दिनों पहले पहाड़ के पीछे खेत में जेसीबी से चल रही खुदाई के समय 5 काले पत्थर मिले हैं जिसके ऊपर मूर्तियाँ बनी हुई है और शिलालेख भी हैं| ये मूर्तियाँ बहुत प्राचीन हैं गाँव के आस-पास खुदाई में मूर्तियाँ मिलती रहती हैं| स्कूल के अध्यापकजी ने बताया कि पहले ये जैनों की राजधानी हुआ करती थी| जो कि आज की स्थिति में चिंतनीय है| खुदाई में प्राप्त सभी मूर्तियों को एक जगह लाने के लिए अध्यापक श्री चंद्रमौलीजी प्रयत्न कर रहे हैं इस कार्य के लिए भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी भी प्रयत्नरत है|
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
www.tirthkshetracommittee.com
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास
देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।