कैलाशपर्वत की प्रतिकृति के रूप सूखी सेवनिया में तैयार हो रहा अनूठा जिनालय

कैलाशपर्वत पर विराजित होंगी भगवान आदिनाथ, भरत एवं बाहुवली की 21-21  फीट ऊँची प्रतिमाएं

कैलाशपर्वत की प्रतिकृति के रूप सूखी सेवनिया में अमोनी गांव रोड पर पांच एकड़ में आकार ले रहा अनूठा जिनालय

भोपाल के सूखी सेवनिया गांव में पांच एकड़ क्षेत्र में ढाई करोड़ की लागत से अनूठा जिनालय बनकर तैयार हो रहा है जिसमें कैलाशपर्वत पर भगवान आदिनाथ और उनके पुत्र भरत चक्रवर्ती व बाहुबली की 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान होंगी । 21-21 फीट की भगवान आदिनाथ, भरत चक्रवर्ती व बाहुबली भगवान की प्रतिमाए श्री मुकेश जैन (डब्बू भैया) की ओर से दी गई हैं। प्रतिमा राजस्थान के मकराना से बनवाकर मंगाई गई हैं। तीनों प्रतिमाओं की लागत 42 लाख है। वहीं पहाड़ के नीचे एक गुफा रहेगी जो कि संतों का निवास स्थान होगा। आचार्य श्री विशुद्ध सागर व सन्मति सागर महाराज की प्रेरणा से जिनालय की रचना की जा रही है। इसमें त्रिकाल चौबीसी होगी इसके लिए 72 मंदिर बन कर तैयार हो गए है। जिनमें 72 जिन प्रतिमा स्थापित होंगी।

72 मंदिरों में स्थापित होने वाली जिन प्रतिमा भी आ चुकी है। कैलाश पर्वत क्षेत्र के अष्टापद में भगवान आदिनाथ का माघ कृष्ण पक्ष में ही निर्वाण हुआ था। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र जैन के मार्ग दर्शन में 90 फीसद काम पूरा हो चुका है।  महामंत्री श्री मुकेश जैन (डब्बू भैव्या) ने बताया कि 2022 में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा होगी। निर्माणधीन कैलाश पर्वत का 90 फीसद कार्य पूरा हो चुका है, जिसमें लगभग वो करोड़ रुपये का कार्य किया जा चुका है।

भगवान चंद्रप्रभु की लगभग 33 इंच की अतिशयकारी प्रतिमा जो लगभग 200 साल प्राचीन है उस प्रतिमा को विराजमान करने के लिए एक नवीन मंदिर का निर्माण श्री नरेंद्र वर्धमान के किया जा रहा है।

भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
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भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास

देश भर में दूरदूर तक स्थित अपने दिगम्बर जैन तीर्थयों की सेवा-सम्हाल करके उन्हें एक संयोजित व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए किसी संगठन की आवश्यकता है , यह विचार उन्नीसवीं शताब्दी समाप्त होने के पूर्वसन् 1899 ई. में, मुंबई निवासी दानवीर, जैन कुलभूषण, तीर्थ भक्त, सेठ माणिकचंद हिराचंद जवेरी के मन में सबसे पहले उदित हुआ ।


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