भारतवर्षीय दिगम्बर जैन
तीर्थक्षेत्र कमेटी का इतिहास
भारतवर्षीय दिगंबर जैन
तीर्थक्षेत्र कमेटी से संबद्ध तीर्थक्षेत्र
अनादि कालीन श्रमण संस्कृति का संरक्षण-संवर्धन इस युग के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव
के पुत्र प्रथम चक्रवर्ती भरत के द्वारा करोड़ों वर्षों से चला आ रहा है।
पुनः पंचम् काल में महान जैनाचार्य एवं अनेक जैन धर्मावलम्बी राजा-महाराजाओं द्वारा इस संस्कृति का संपोषण किया गया है, इसी का शुभ परिणाम है कि आज भी जैन संस्कृति की धर्म- ध्वजा फहरा रही है तथा इस संस्कृति के माध्यम से समूची मानव जाति को अहिंसा का संदेश दिया जाता है । इस संस्कृति के प्राण हैं देश-विदेश में स्थित तीर्थ स्थान, जो हजारों वर्षों से खड़े हुए हैं और जैन धर्म की यश गाथा गा रहे हैं ।
वर्तमान भारतवर्ष में ऐसे तीर्थक्षेत्रों की संख्या हजार से ऊपर है,
यह तीर्थक्षेत्र मुख्यतः उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल और आंध्र प्रदेश में स्थित हैं।
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी
“ पंचम काल मे गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए चारो पुरूषार्थ अथार्त अर्थ, धर्म, काम, एंव मोक्ष को प्राप्त करने का सच्चा मार्ग दिखाया गया हैं। “
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